म्युचुअल फंड के नुकसान: अगर आप एक नए निवेशक है और शेयर मार्केट के बारे में जायदा कुछ नहीं पता है, तो अवश्य म्युचुअल फंड को चुने। वहीं अगर आप एक अनुभवी निवेशक है और काफी समय से शेयर मार्केट में निवेश कर रहे है,
तो ज्यादा पैसे म्युचुअल फंड में निवेश ना करे। बल्कि कोशिश करे कि खुद से ही निवेश करे और ज्यादा से ज्यादा रिटर्न पाए।
जी हां !!!
अगर आप नए हो तो म्युचुअल फंड, और अगर अनुभवी हो तो खुद से।
ऐसा इसलिए, क्योंकि म्युचुअल फंड के फायदे तो बहुत है लेकिन वह फायदे ज्यादातर उन लोगों के लिए काम करते हैं जिनको शेयर मार्केट में अपना समय नहीं देना है।
बस एक बार म्युचुअल फंड में निवेश कर दिया और टेंशन फ्री, इनही लोगों के लिए म्यूचुअल फंड बेस्ट है।
वही जो अनुभवी निवेशक होते हैं और जो शेयर मार्केट के बारे में काफी कुछ जानते हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड के फायदे नुकसान बन जाते है।
और उन सभी नुकसान को हमने इस लेख में अच्छे से बताया है तो चलिए शुरुआत करते हैं।
Mutual Fund Ke Nuksan | Disadvantages Of Mutual Fund In Hindi
यह रहे म्युचुअल फंड के कुछ नुकसान जिनके बारे में जानना हर निवेशक के लिए आवश्यक है।
No control | कंट्रोल ना होना
जब आप म्युचुअल फंड में अपने पैसों को निवेश करते हो तो आपके जैसे और भी कहे सारे लोग उसे म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं। जिससे काफी बड़ा अमाउंट जमा होता है।
आरुष अमाउंट को उसे म्युचुअल फंड कंपनी का फंड मैनेजर मैनेज करता है। क्यों पैसों को कहां निवेश करना है कितना निवेश करना है आदि।
तू इस तरह से एक बार निवेश करने के बाद आपका कोई खास कार्य नहीं होता है बस सब कुछ फंड मैनेजर के ऊपर होता है।
अगर फंड मैनेजर ने पैसे सही से निवेश किया तो अच्छा रिटर्न नहीं तो नुकसान के लिए तैयार रहिए।
बहुत सारे निवेशक म्यूचुअल फंड में इसलिए निवेश नहीं करते हैं क्योंकि म्युचुअल फंड में एक बार निवेश कर देने के बाद वह कुछ नहीं कर सकते अगर उन्हें किसी अच्छी कंपनी के बारे में मालूम भी है,
तो भी वह उसमें निवेश नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह सब कुछ फंड मैनेजर के हाथ में
ता है।
Higher Cost
म्युचुअल फंड में जो फंड मैनेजर होते है वो लोगों के पैसों को मैनेज करते हैं, और अच्छे खासे पैसे भी चार्ज करते हैं जिसे एक्सपेंस रेशों कहा जाता है।
तो काफी सारी म्युचुअल फंड स्कीम ऐसी होती है जिनमें एक्सपेंस रेशों काफी ज्यादा होता है।
अगर आप बिना देखे ज्यादा एक्सपेंस रेशों वाले म्युचुअल फंड में निवेश कर देते हो तो आपको शुरुआती समय में कुछ समझ नहीं आएगा लेकिन लंबे समय में निवेश करने के बाद आपको समझ में आएगा कि,
आप की कमाई का ज्यादातर हिस्सा एक्सपेंस रेशों के रूप में खर्च हो रहा है।
अगर आपको ऐसी जानकारियां बिल्कुल सरल और छोटे अंदाज में चाहिए तो आप हमारे Web Story की भी सहायता ले सकते हो।
मार्केट रिस्क का शामिल होना
म्युचुअल फंड सही है, म्युचुअल फंड सही है, यह तो बहुत सुन लिया लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने में कोई रिस्क नहीं है।
अगर आप म्युचुअल फंड के बारे में अच्छे से पता करेंगे तो आपको यह स्टेटमेंट देखने को मिलेगा “ Mutual Funds are subjected to market risk “.
तू इस स्टेटमेंट का मतलब यह होता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने में रिस्क शामिल होता है। क्योंकि म्युचुअल फंड बाजार में निवेश करता है और बाजार कभी ऊपर तो कभी नीचे ( Fluctuate ) होता रहता है।
काफी ज्यादा डाइवर्सिफिकेशन होना | Over Diversification
यह बात तो बिल्कुल सही है कि म्यूचुअल फंड में काफी ज्यादा डायवर्सिफिकेशन मिलता है। यानी अगर आप इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश करते हो तो, आपके पैसे किसी एक कंपनी में निवेश नहीं होते हैं।
बल्कि काफी सारी कंपनियों में निवेश होते है जिससे नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है। लेकिन इसका एक बहुत बड़ा नुकसान यह होता है कि,
भले ही नुकसान कम हो जाए लेकिन रिटर्न नहीं बढ़ता है। जिससे निवेशकों को काफी नुकसान भी होता है।
जो मुनाफा होता है उसे पर टैक्स दो
मान लीजिए कि आपने म्युचुअल फंड में ₹10000 निवेश किए और वह ₹10000 बढ़ कर ₹15000 हो गए। तो यहां आपको लगेगा कि आपने ₹5000 कमा लिए। लेकिन ऐसा नहीं है।
क्योंकि आपने जो ₹5000 कमाया, उस पर आपको लॉन्ग टर्म या शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन के हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा। जो 10 से 20 % तक हो सकता है।
बाकी एक्सपेंस रेशों जैसे खर्चे भी आपको उठते ही होंगे।
रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है | No guarantee on returns
जब लोग किसी अच्छे म्युचुअल फंड स्कीम का चुनाव करते हैं, तो यह देखते हैं कि उस म्युचुअल फंड ने पिछले कुछ सालों में कितना रिटर्न दिया है ? ज्यादा रिटर्न दिया है या कम दिया है।
यह देख कर लोग म्युचुअल फंड स्कीम चुन लेते और उसमें निवेश करना शुरू कर देते हैं।
जैसे उदाहरण के लिए, लोगों ने एक म्युचुअल फंड स्कीम का चयन किया जिसने पिछले 5 सालों में 12 से 15 % का रिटर्न दिया था।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह म्युचुअल फंड भविष्य में भी ऐसा ही रिटर्न देगा क्योंकि बाजार में निवेश करना मतलब जोखिमों का घर।
और एक बार जब कोई पैसे बाजार में निवेश होते हैं तो उसकी कोई गारंटी नहीं होती है कि कितना रिटर्न मिलेगा ? काफी ज्यादा भी हो सकता है काफी कम भी हो सकता है।
Lock in period
यह बात तो बिल्कुल सही है कि आप म्युचुअल फंड में लिक्विडिटी का फायदा उठा सकते हो यानी अपने शेयर, बॉन्ड आदि को जल्दी बीच या खरीद सकते हो। लेकिन अगर आपके चुने हुए म्युचुअल फंड में Lock In पीरियड ज्यादा समय का होगा तब आप इस फायदे को नहीं उठा सकते हो।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह लॉकिंग पीरियड क्या होता है ???
लॉक इन पीरियड का मतलब वह समय होता है जिसमें आप ना तो पैसे निकाल सकते हो और ना ही पैसे डाल सकते हो।
मतलब एक खास समय के लिए आप अपने पैसों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते हो।
फिर जैसे ही लॉक इन पीरियड खत्म होता है तब आप अपने म्युचुअल फंड के साथ कुछ भी कर सकते हो यानी और ज्यादा निवेश भी कर सकते हो या अपने पैसे निकाल भी सकते हो यह आपके ऊपर निर्भर करता है।
और यह बात ध्यान में रहे की लॉक इन पीरियड हर म्युचुअल फंड के लिए अलग-अलग होता है। किसी में ज्यादा होता है 4 – 5 सालों के लिए, तो किसी में कम होता है 1 साल 2 साल के लिए।
म्युचुअल फंड के नुकसान – Conclusion
म्युचुअल फंड सही है म्युचुअल फंड सही है, अब हम आशा करते हैं कि आप इस स्टेटमेंट को अच्छे से समझ गए होंगे। की म्युचुअल फंड आखिर किन लोगों के लिए सही है।
जी हां किसी भी चीज के बारे में अगर अच्छे से जानकारी चाहिए तो उसके फायदे और नुकसान को तो जरूर ही समझना चाहिए।
नहीं तो फायदे कब नुकसान में बदल जाए पता ही नहीं चलेगा।
इसलिए इसमें हमने आपको म्युचुअल फंड के सभी नुकसान के बारे में बताया है, जिन्हें जानकर आप एक सही फैसला ले पाएंगे।
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